सियासत | बड़ा आर्टिकल
बाल ठाकरे नहीं, शरद पवार तो मुलायम या लालू यादव बनना चाहते हैं
शरद पवार (Sharad Pawar) ने चुनाव आयोग के फैसले पर यू-टर्न यूं ही नहीं लिया है. असल में ये नया स्टैंड एनसीपी को लेकर उनका डर दिखा रहा है - और वो ये है कि ऐसा न हो भविष्य में सुप्रिया सुले (Supriya Sule) का हाल भी उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) जैसा हो जाये.
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जो चीज अभी उद्धव ठाकरे की कमजोरी लग रही है, ताकत भी उसी में छुपी हुई है
उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) का जो हाल हुआ है, असल में वो परिवारवाद की राजनीति का रिजल्ट है, लेकिन एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को जो कुछ मिला है वो भी स्थायी भाव नहीं है - शिवसेना (Shiv Sena) भी आखिरकार उसी की होगी जो विरासत को संजो कर रखेगा.
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कुढ़नी का रिजल्ट बता रहा है कि बीजेपी के खिलाफ नीतीश का बंदोबस्त कमजोर है
चुनाव नतीजे आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बिहार के उपचुनाव के नतीजे का भी खास तौर पर जिक्र किया - कुढ़नी उपचुनाव (Kurhani Bypoll) में जेडीयू की हार बता रहा है कि बीजेपी के खिलाफ नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की तैयारी बहुत मजबूत तो नहीं है.
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चिराग पासवान अगर खुद को दूसरा नीतीश समझ रहे हैं तो ये बीजेपी को भी मंजूर होगा क्या?
चिराग पासवान (Chirag Paswan) को अच्छे दिन आने के संकेत मिल चुके हैं, हालांकि, एनडीए में वापसी पर अंतिम मुहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात के बाद ही लगेगी. ऐसा लगता है जैसे वो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की जगह लेना चाहते हों - लेकिन बीजेपी ऐसा होने देगी?
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चिराग और उद्धव को दर्द तो मोदी-शाह ने ही दिया है, और दवा भी देना चाहते हैं
अलग अलग हालात में मोदी-शाह (Modi-Shah) के राजनीतिक प्रयोगों के शिकार हुए चिराग पासवान (Chirag Paswan) और उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ऐसे मोड़ पर पहुंच चुके हैं कि मदद की उम्मीद भी बीजेपी से ही बची है - फिर तो बीजेपी मनमाफिक नचाएगी ही.
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मोकामा उपचुनाव जीतने के लिए बीजेपी को बाहुबली नेता की मदद क्यों लेनी पड़ी?
बिहार के मोकामा उपचुनाव (Mokama Bypoll) में मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. बाहुबली नेता अनंत सिंह (Anant Singh) से मुकाबले के लिए बीजेपी (BJP) ने इलाके के ही एक अन्य बाहुबली नेता को हायर किया है - क्या जंगलराज से मुकाबले का कोई और रास्ता नहीं था?
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अमित शाह के बिहार दौरे से पहले नीतीश ने अपने लोगों को अलर्ट क्यों किया?
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के एनडीए छोड़ देने के बाद 2024 को लेकर बीजेपी की चुनौतियां अचानक बढ़ गयी हैं. ऐसे में अमित शाह (Amit Shah) के बिहार दौरे (Bihar Politics) को लेकर जेडीयू नेता का चिंतित होना और अपने लोगों को अलर्ट करना थोड़ा अजीब लगता है.
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पलटू चाचा की अध्यक्षता में JDU का तीर RJD की लालटेन के दम पर निशाना तलाशने की कोशिश में
ये पहली या दूसरी बार नहीं है कि नीतीश पलटे हैं और एक पार्टी या संगठन छोड़ दूसरी पार्टी का साथ लिया है. खैर, बिहार में लोकप्रियता के मामले में नीतीश कुमार के सामने फिलहाल कोई नेता नहीं है. किसी भी पार्टी के पास नहीं है. ये और बात है कि बार बार सियासी पलटी मारने पर खुद तेजस्वी यादव उन्हें ‘पलटू चाचा’ कहते रहे हैं.
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